Motivational Poems in Hindi
Motivational Poems Hindi – यहाँ विशेष रूप से आपके मूड और आपके जीवन को बेहतर बनाने और बेहतर बनाने के लिए सुंदर Motivational Poems का संग्रह है। कृपया पढ़ने के माध्यम से जल्दी मत करो।
यदि आप कर सकते हैं, तो धीरे-धीरे पढ़ें और प्रत्येक कविता को फिर से पढ़ें। यह बेहतर है कि आप प्रत्येक कविता के बारे में विचार करने के लिए कुछ मिनटों का समय निकाल सकते हैं, यह देखने के लिए कि आप किस नए विचारों, दृष्टिकोण को अपने साथ ले जा सकते हैं। आप इस पृष्ठ को इस उद्देश्य के लिए बुकमार्क कर सकते हैं।
तुम मुझको कब तक रोकोगे
मुट्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं |दिलो में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं |सूरज–सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक–सा जलता देखोगे।सूरज–सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक–सा जलता देखोगे।अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे..।तुम मुझको कब तक रोकोगे..।में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है..में उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है..बंजर माटी में पलकर मैंने मृत्यु से जीवन खींचा हैमैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ|शीशे से कब तक तोड़ोगे…मिटने वाला नाम नहीं, तुम मुझको कब तक रोकोगेतुम मुझको कब तक रोकोगेइस जग में जितने जुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है..तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है..मैं सागर से भी गहरा हूँ.. मैं सागर से भी गहरा हूँ..तुम कितने कंकड़ फेंकोगे,चुन–चुन कर आगे बढूंगा मैं, तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे…झुक झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शोख नहींझुक झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शोख नहीं,अपने ही हाथों रचा स्वय तुमसे मिटने का खौफ नहीं,तुम हालातो की मुट्ठी में जब जब भी मुझको झोकोंगे..तब तपकर सोना बनुंगा में, तुम मुझको कब तक रोकोगेतुम मुझको कब तक रोकोगेAmitabh Bachchan
चल सको तो चलो
सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलोसभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलोइधर उधर कई मंज़िल हैं चल सको तो चलोबने बनाये हैं साँचे जो ढल सको तो चलोकिसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैंतुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलोयहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देतामुझे गिराके अगर तुम सम्भल सको तो चलोयही है ज़िन्दगी कुछ ख़्वाब चन्द उम्मीदेंइन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलोहर इक सफ़र को है महफ़ूस रास्तों की तलाशहिफ़ाज़तों की रिवायत बदल सको तो चलोकहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ धुआँ है फ़िज़ाख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलोNida Fazli
चलना हमारा काम है
गति प्रबल पैरों में भरीफिर क्यों रहूं दर दर खडाजब आज मेरे सामनेहै रास्ता इतना पडाजब तक न मंजिल पा सकूँ,तब तक मुझे न विराम है,चलना हमारा काम है।कुछ कह लिया, कुछ सुन लियाकुछ बोझ अपना बँट गयाअच्छा हुआ, तुम मिल गईकुछ रास्ता ही कट गयाक्या राह में परिचय कहूँ,राही हमारा नाम है,चलना हमारा काम है।जीवन अपूर्ण लिए हुएपाता कभी खोता कभीआशा निराशा से घिरा,हँसता कभी रोता कभीगति–मति न हो अवरूद्ध,इसका ध्यान आठो याम है,चलना हमारा काम है।इस विशद विश्व–प्रहार मेंकिसको नहीं बहना पडासुख–दुख हमारी ही तरह,किसको नहीं सहना पडाफिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ,मुझ पर विधाता वाम है,चलना हमारा काम है।मैं पूर्णता की खोज मेंदर–दर भटकता ही रहाप्रत्येक पग पर कुछ न कुछरोडा अटकता ही रहानिराशा क्यों मुझे?जीवन इसी का नाम है,चलना हमारा काम है।साथ में चलते रहेकुछ बीच ही से फिर गएगति न जीवन की रूकीजो गिर गए सो गिर गएरहे हर दम,उसी की सफलता अभिराम है,चलना हमारा काम है।फकत यह जानताजो मिट गया वह जी गयामूंदकर पलकें सहजदो घूँट हँसकर पी गयासुधा–मिक्ष्रित गरल,वह साकिया का जाम है,चलना हमारा काम है।चलना हमारा काम हैशिवमंगल सिंह ‘सुमन’
चल रहे हो तो जिंदा हो तुम
दिलो में तुम अपनी बेताबिया लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम,नज़र में ख्वाबो की बिजलिया लेके चल रहे हो तो जिंदा हो तुम!हवा के झोको के जैसे आज़ाद रहना सीखो,तुम एक दरिया के जैसे लेहरो में बहना सीखो!हर एक लम्हे से तुम मिलो खोले अपनी बाहे,हर एक पल एक नया समा देखे ये निगाहें!जो अपनी आँखों में हैरानिया लेके चल रहे हो तो ज़िन्द हो तुम,दिलो में तुम अपनी बेताबिया लेके चल रहे हो तो ज़िन्द हो तुम!Javed Akhtar Poem
तो क्या हुआ
परिस्थितियाँ अगर दल–दल हैं तो क्या हुआ ?मैं खिलूँगा एक दिन कमल बन कर।मैं लम्हा दर लम्हा लिख रहा हूँ कहानी अपनी,जो नज़र आएगी एक दिन मुक़्क़मल बन कर।
जमीन मत छोड़ना
सामने हो मंजिल तो रास्ते ना मोड़नाजो भी मन में हो वो सपना मत तोड़नाकदम कदम पर मिलेगी मुश्किल आपकोबस सितारे छूने के लिए जमीन मत छोड़ना
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
लहरों से डरकर नोका पार नहीं होती।कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।
रखना
आंधियो में पेड़ लगाए रखना,दलदल में पैर जमाए रखना,कौन कहता है छलनी में पानी नहीं ठहरताबस बर्फ जमने तक हाथों को थमाए रखना….
बहुत है
मांझी तेरी किस्ती में तलाबदार बहुत है...कुछ उस पार तो कुछ इस पार बहुत है..तूने जिस शहर में खोली है शीशे की दुकानउस शहर में पत्थर के खरीददार बहुत हैं…
कुछ बनो ऐसा की दुनिया आपके जैसा बनना चाहे।
ये प्रेरणादायक पंक्तियां आपके दिल में सोई हुई चेतना को जगाने के लिये आपके सामने प्रस्तुत की गई हैं।
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