Guru Nanak Ka Janm Kab Hua :- गुरु नानक देव का नाम तो आपने अवश्य सुना ही होगा, शायद ही कोई नहीं जानता होगा इन महापुरुष के बारे में। सिख धर्म के गुरु, गुरु नानक देव जी एक महान दार्शनिक, योगी और समाज सुधारक थे।
लेकिन क्या आप जानते है गुरु नानक देव जी का जन्म कहां हुआ था? कब हुआ था ? और इनके परिवार के बारे में। साथ ही इनसे जुड़ी तमाम बातें। तो चलिए शुरू करते है.
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गुरु नानक देव का जन्म कहां हुआ था ? – Guru Nanak Ka Janm Kab Hua
गुरु नानक का जन्म पाकिस्तान में “रावी नदी” के तट पर स्थित तलवंडी नामक एक छोटे से गाँव के एक खत्री कबीले में हुआ था। जिस घर में गुरु नानक का जन्म हुआ था, उसके एक तरफ अब ‘ननकाना साहिब’ नामक एक प्रसिद्ध मंदिर है। जो आज के पाकिस्तान के इलाकों में स्थित है।
गुरु नानक देव का जन्म कब हुआ था ?
आपको बता दें आज तक कोई भी इतिहासकार गुरु नानक जी की जन्म तिथि पर कोई मत नहीं दे पाया है। यही कारण है कि गुरु नानक जी की जन्म तिथि को लेकर इतिहासकारों के मतभेद आज भी जारी हैं।
इतिहासकारों का कहना है, कि गुरु नानक का जन्म 15 अप्रैल 1470 को हुआ था, लेकिन आज उनकी जन्मतिथि कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहुत धूमधाम से मनाई जाती है, जो हर साल अक्टूबर-नवंबर में दिवाली के ठीक 15 दिन बाद आती है।
जानें गुरु नानक देव के परिवार के बारे में
गुरु नानक को ‘पंजाब और सिंध का पैगंबर’ कहा गया है। नानक के पिता मेहता कालू चंद थे, जिन्हें कालू के नाम से जाना जाता था। वह गांव का मुनीम था। वे एक कृषक भी थे। नानक की माता का नाम तृप्ता देवीथी था।
उन्होंने अपना अधिकांश बचपन अपनी बड़ी बहन बेबे नानकी के साथ बिताया, क्योंकि वे उनसे प्यार करते थे। नानकी की इकलौती बहन नानकी उनसे पांच साल बड़ी थीं। वर्ष 1475 में, उसने शादी कर ली और सुल्तानपुर चली गई।
गुरु नानक देव की मृत्यु कब हुई थी ?
गुरु नानक देव 55 वर्ष की आयु के आसपास करतारपुर में बस गए, सितंबर 1539 में अपनी मृत्यु तक वहीं रहे। इस अवधि के दौरान, वे अचल के नाथ योगी केंद्र और पाकपट्टन और मुल्तान के सूफी केंद्रों की छोटी यात्राओं पर गए।
गुरु नानक देव की शिक्षा
गुरु नानक देव ने लोगों को सिखाया कि हमें भगवान तक पहुंचने के लिए किसी कर्मकांड और पुजारियों की जरूरत नहीं है। उन्होंने भगवान को पाने के लिए लोगों से भगवान के नाम का जाप करने को कहा। उन्होंने लोगों को दूसरों की मदद और सेवा करके आध्यात्मिक जीवन जीने की शिक्षा दी।
गुरु नानक देव ने सिख धर्म के कौन – से तीन स्तंभ की स्थापना की थी ?
उन्होंने उनसे किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी या शोषण को छोड़ने और एक ईमानदार जीवन जीने के लिए कहा। मूल रूप से, उन्होंने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से नए धर्म यानी सिख धर्म के तीन स्तंभों की स्थापना की, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है:
नाम जपना: इसका अर्थ है, भगवान के नाम का जप करना और भगवान के नाम और उनके गुणों का अध्ययन करने के साथ-साथ गायन, जप और जप जैसे विभिन्न तरीकों से ध्यान के माध्यम से भगवान के नाम का अभ्यास करना।
किरत करणी: इसका सीधा सा अर्थ है ईमानदारी से कमाई करना। उन्होंने लोगों से अपेक्षा की कि वे गृहस्थों का सामान्य जीवन व्यतीत करें और अपने शारीरिक या मानसिक प्रयासों से ईमानदारी से कमाई करें और हमेशा सुख और दुःख दोनों को ईश्वर के उपहार और आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करें।
वंद चकना: इसका सीधा सा अर्थ है एक साथ साझा करना और उपभोग करना। इसमें उन्होंने लोगों से अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा समुदाय के साथ साझा करने को कहा। वंद चकना का अभ्यास सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है जहां प्रत्येक सिख समुदाय के साथ जो कुछ भी संभव हो योगदान देता है।
गुरु नानक देव की जयंती
हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद खास होता है, लेकिन हिंदू धर्म के साथ-साथ यह दिन सिख धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है। सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था। इसलिए इस दिन को गुरु नानक देव जी की जयंती और प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
कैसे कहलाए गुरु नानक देव संत ?
बचपन से ही गुरु नानक जी की रुचि आध्यात्म में थी। इसलिए वह सांसारिक कार्यों में उदासीन रहते थे। बचपन में ही उनके साथ कई ऐसी चमत्कारी घटनाएं घटीं, जिन्हें देखकर गांव वाले उन्हें दैवीय मानने लगे और उन्हें साधु कहने लगे।
बाद में लोगों ने उनके जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा के दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाना शुरू कर दिया।
गुरु नानक देव की रचनाएं
- जपु जी
- झूठी देखी प्रीत
- को काहू को भाई
- जो नर दुख में दुख नहिं मानै
- सूरा एक न आँखिए
- राम सुमिर, राम सुमिर
- सब कछु जीवित कौ ब्यौहार
- हौं कुरबाने जाउँ पियारे
- मुरसिद मेरा मरहमी
- काहे रे बन खोजन जाई
- प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे
- मुरसिद मेरा मरहमी
- काहे रे बन खोजन जाई
- प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे
- अब मैं कौन उपाय करूँ
- या जग मित न देख्यो कोई
- जो नर दुख में दुख नहिं माने
- यह मन नेक न कह्यौ करे
निष्कर्ष :-
हमने आपको अपने इस लेख के जरिए Guru Nanak Ka Janm Kab Hua, कब हुआ और हमने आपको उनकी रचनाओं के बारे में भी बताया। साथ ही हमने गुरु नानक देव से जुड़ी सारी जरूरी जानकारी देने का प्रयास किया। उम्मीद है आपको हमारा ये लेख पसंद आया होगा।
FAQ’S :
Q1. गुरु नानक देव का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर : गुरु नानक देव का जन्म 15 अप्रैल 1470 को हुआ था।
Q2. गुरु नानक देव का जन्म कहां हुआ था ?
उत्तर : गुरु नानक देव का जन्म रावी नदी" के तट पर स्थित तलवंडी नामक एक छोटे से गाँव के एक खत्री कबीले में हुआ था।
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